तो फिर मैं गया

तो फिर मैं गया

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Nov, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

जो सोच रहा हूँ वो हो गया तो फ़िर मैं गया,

नज़रों से मेरी मैं जो खो गया तो फ़िर मैं गया,


नींद को रख ताक पे, मंज़िल से क़रीब हुआ हूँ,

आँखों की सुन अब जो सो गया तो फिर मैं गया,


लापरवाह हुआ हूँ सहारों पर भरोसा करके शायद,

मददगार ही जो राह में काँटे बो गया तो फिर मैं गया,


हार के जख़्मों को कुरेदकर हौसला बढ़ाता हूँ अपना,

कतरा कोई अश्क़ का, ये घाव धो गया तो फ़िर मैं गया,


कई दफ़ा लौटा हूँ, अधूरी राह का सफ़र करके “साकेत",

मगर इस बार ग़लत गली की ओर जो गया तो फिर मैं गया।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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