नए ख़्वाबों की चाह में कुछ अनूठे सपने तोड़ रहा हूँ,
नई राह चुन चुका मैं, पुराने सफ़र से मुँह मोड़ रहा हूँ,
ये रास्ता नया है मगर पाँव में छाले अब भी पुराने ही हैं,
घोंट कर गला दिली ख्वाहिशों का नए रिश्ते जोड़ रहा हूँ,
भूल चुका जो वो मंजिल जिसके लिए जान भी कुर्बान थी,
याद नहीं खुला आसमान, जिसके लिए हाज़िर मेरी जान थी,
दिल ने सिर्फ ज़ख्मों को ताज़ा कर रखा है मुझे आजमाने को,
क्योंकि पहले कभी दर्द और नासूरों से ही होती मेरी पहचान थी,
मगर अब थक चुका हूँ होश में, अब मदहोशी से रिश्ता जोड़ रहा हूँ,
चुभने लगे टूटे ख्वाबों के टुकड़े इसलिए उन्हें सँभालना छोड़ रहा हूँ।
BY:—© Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Very nice
Thank you so much 🙇🙇🙇
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