मैं डूबा तुममें, मुझमें खो जाओ तुम, बात बन जाएगी,
यथार्थ में मेरे, कल्पनाएँ बो जाओ तुम, बात बन जाएगी,
अश्क़ों से करके दूर, वज़हें तुम्हें सिर्फ़ मुस्कुराने के दूँगा,
मेरे रूहानी ज़ख्मों के दाग धो जाओ तुम, बात बन जाएगी,
दुखों और तुम्हारे बीच खुशियों की दीवार बना खड़ा रहूँगा,
मेरे हिस्से की हँसी से, खिलखिलाओ तुम, बात बन जाएगी,
उम्र भर जागता रहूँगा गम-ओ-बेचैनियों से हमें बचाता हुआ,
हमारा सुकून भर आगोश में सो जाओ तुम, बात बन जाएगी,
जीतकर जहान से भी कभी वो बात नहीं बनती “साकेत" की,
पर ज्यों मैं हुआ तुम्हारा जो मेरे हो जाओ तुम, बात बन जाएगी।
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Sundar
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