खेलो जब तक चाहो, थकने लगो तो बताना,
है दिल खिलौना मेरा, ऊबने लगो तो बताना,
ख़्वाहिशें भी सारी मेरी तबाह हुईं इस खेल में,
मुझे भुला कर, मोहरे बदलने लगो तो बताना,
शह और मात दोनों मेरे हाथ में है शुरू से ही,
मैं खेलता नहीं, क्यों, समझने लगो तो बताना,
नज़रों पर भरोसा करके मैं तो तबाह हो चुका हूँ,
सब भ्रमजाल है, पलकें झपकने लगो तो बताना,
है पूरा भरोसा “साकेत" को अपनी आशिक़ी पर,
कभी तुम भी इश्क़ के रंग में रंगने लगो तो बताना।
Comments
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Wahh
बहुत बहुत शुक्रिया Charu Chauhan jee
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