अच्छा होगा कि इस राज़ को राज़ ही रहने दिया जाए,
अब हमें ये दर्द-ए-तन्हाई भी सुकुन से सहने दिया जाए,
करने को तो हर बात ब्यान कर सकते हैं दुनिया के सामने,
पर भलाई इसी में है, कि इन लबों को खामोश रहने दिया जाए …!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
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