ये बख़्शी हुई तकलीफ़

अच्छा होता...!

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 17 Jun, 2024 | 1 min read
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सर झुकाए उस गली से गुजर गया होता तो अच्छा होता,

नज़रें मिलीं जहाँ, वहीं सँभल गया होता तो अच्छा होता,


पलकें बिछाता न, उनकी खिड़की पर आने के इंतज़ार में,

बेसब्री दिल में दबाए आगे बढ़ गया होता तो अच्छा होता,


न रोज़ हसीं मुलाकातें होती, न इशारों में कभी बातें होती,

दीदार भर से उनके, ये मन भर गया होता तो अच्छा होता,


न कोई जज़्बात पलते ख़्यालों में, न ख़्वाबों में आता कोई,

ज़ाम-ए-मोहब्बत के नशे से डर गया होता तो अच्छा होता,


जितनी तकलीफ़ बख़्शी है, इस बला-ए-इश्क़ ने “साकेत",

मिला चाय में ज़हर, पीते हुए मर गया होता तो अच्छा होता।


BY :— © Saket Ranjan Shukla

IG :— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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