वृद्धाश्रम

वृद्धावस्था अपनी मर्ज़ी से बिताने वृद्धाश्रम आया हूँ..

Originally published in hi
Reactions 0
395
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 31 Jan, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

अपना बुढ़ापा अब वृद्धाश्रम में गुजारने आया हूँ,

हमउम्र लोगों के साथ, बचा वक़्त काटने आया हूँ,

अपने बच्चों के प्रति हरेक जिम्मेदारी निभाई है मैंने,

उन्हें पैरों पर खड़ा करके, ख़ुद को सँभालने आया हूँ,


जानता हूँ मेरे परिवार वाले मुझसे बहुत प्यार करते हैं,

अब मिलने नहीं आ पाते लेकिन हर रोज याद करते हैं,

मेरी फ़िक्र सबको है घर पर, सब मेरे लिए परेशान होंगे,

मैं ख़ुद नहीं जाता मिलने, वो तो ख़ूब फ़रियाद करते हैं,


क्या है ना कि मैं अपने बच्चों पर बोझ नहीं बनना चाहता,

उनका ध्यान बंटाकर, उन्हें यूँ कमज़ोर नहीं करना चाहता,

मेरी जवानी गई अब उन्हें ख़ुद ही ख़ुद को सँभालना होगा,

ऐसे में मैं उनके पैरों को, बेड़ी बनकर जकड़ना नहीं चाहता,


मैंने उन्हें जीतना और हारकर भी हार ना मानना सिखाया है,

मैंने उन्हें अहंकार और स्वाभीमान के फ़र्क को भी समझाया है,

मैंने बहुत मेहनत की है, उन्हें उनके सपनों के काबिल बनाने में,

उन्हें अपने तजुर्बे से सींचकर, उन्हें जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया है,


उन्हें मेरी ज़रूरत नहीं है, अब वो अपनी उड़ान ख़ुद भर सकते है,

ख़ुद को कसौटियों पर परखकर, अपनी जंग ख़ुद ही लड़ सकते हैं,

मेरी भी उम्र हो चली है अब, और कितना कुछ उनके लिए करता मैं,

सक्षम हैं वो, मेरे सहारे बिना भी कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं,


तो अब उन्हें परिवार सौंप के, ख़ुद को परेशानियों से निकालने आया हूँ,

बेघर नहीं किया गया मुझे, मैं ख़ुद ही वृद्धाश्रम बुढ़ापा गुजारने आया हूँ।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

0 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    भावपूर्ण सृजन

  • Saket Ranjan Shukla · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद

Please Login or Create a free account to comment.