लिखते हैं

हम स्याहीकार

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 25 Feb, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

अपनी ख़ामोशी कभी औरों के अल्फाज़ लिखते हैं,

जो ये जुबां न कह सके वैसे कुछ जज़्बात लिखते हैं,

मिजाज़ हमारा अय्यारी करता है लिखते लिखते भी,

कभी खुश ख़ुद को तो कभी बेवजह उदास लिखते हैं,

औरों के दर्दों से न जाने कैसे राबता हो जाता है हमारा,

अपने लफ़्ज़ों में भी गैर नम आँखों की प्यास लिखते हैं,

हदें पार कर जाते हैं कभी कभी स्याही को उकेड़ते हुए,

जब लिखने की बात होती है तो होकर बेबाक लिखते हैं,

ज़रूरी नहीं “साकेत" कि हर पल कुछ ख़ास ही लिखें हम,

मगर जब खामोशियाँ लिखते हैं तो नया इतिहास लिखते हैं।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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