वक़्त अपना, ख़ुद बदलो

जीत तुम्हारी है अगर तुम चाह लो

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 01 Dec, 2020 | 1 min read
#my_pen_my_strength

मंज़िल रास्ता देख रही है और तुम हार मान रहे हो,

इतना तराश कर खुद को, क्यों यूँ बेकार मान रहे हो,


नाउम्मीद हो रहे हो, जब लड़ने की ज़रूरत ज्यादा है,

हिम्मत जुटाकर कुछ कर गुजरने की ज़रूरत ज्यादा है,


हालात अभी उतने बुरे भी नहीं कि तुम्हें पीछे हटना पड़े,

बिखरे नहीं ख़्वाब अभी यूँ कि समझौता कोई करना पड़े,


ज़िन्दगी में नहीं मुश्किलें इतनी हर कदम पर घबराओ तुम,

ना राहों में पत्थर हैं उतने कि ठोकरों से बिखर जाओ तुम,


हाँ माना ज़ख्म गहरे हैं मगर भुलाकर उन्हें ज़रा सँभलों तुम,

तकदीर बैठी है भरोसे तुम्हारे, वक़्त अपना, ख़ुद बदलो तुम।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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