तन्हाई, मेरी दोस्त

तन्हाई, मेरी दोस्त

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 11 Aug, 2022 | 1 min read

हाल-ए-दिल तुम्हें न बताएँगे तो कहाँ जाएँगे,

अश्क़ तुम्हारे आगे न बहाएँगे तो कहाँ जाएँगे,


समझता और कौन है भला, तुम्हारे सिवा मुझे,

हालात अपने तुम्हें न समझाएँगे तो कहाँ जाएँगे,


भोर से सांझ तलक ये रुपया रखता है व्यस्त मुझे,

थके-हारे हम तुम्हारे पास न आएँगे तो कहाँ जाएँगे,


हैं किस्से कई, कहानियाँ कई, सफ़र-ए-ज़िंदगी की,

गमगीन नज़्म अपने तुम्हें न सुनाएँगे तो कहाँ जाएँगे,


ऐ तन्हाई, सिर्फ़ तुमने कबूली है दोस्ती “साकेत" की,

भला अब तुम्हें भी हमराज़ न बनाएँगे तो कहाँ जाएँगे।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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