स्कूल की यादें
आँसुओं से शुरू होकर, आँसुओं पर ही खतम हुआ था,
उस चारदीवारी के भीतर, जैसे मेरा नया जनम हुआ था,
कुछ ऐसे रिश्ते मिले, जिनसे सारे राज बाँटना आसान था,
ढेरों खुशियाँ मिली जिससे काँटों के बीच भी गुलिस्तान था,
पढ़ाई में भी मस्ती और मस्ती के बीच भी पढ़ाई करते थे हम,
जिससे जितना करीब थे उससे उतनी ही लड़ाई करते थे हम,
शिक्षकों से डाँट खाकर भी, पीठ पीछे उनका मजाक उड़ाते थे,
जो चिढ़ता था अपने मजाकिया नाम से, उसे उतना ही चिढ़ाते थे,
बहुत कुछ सीखा जहाँ और कुछ अटूट बंधनों से भी बँध गए हम,
कुछ मार और डाँट खाकर सुधरे, कुछ संगती से भी सँवर गए हम,
वक़्त वो भी हसीन था, जब कभी कभी सजा में भी बड़ा मजा आता था,
तरसता हूँ अब उस कक्षा के लिए, जहाँ ना जाने के लिए बहाने बनाता था।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bohat khoob ❤️❤️❤️
बहुत खूब
बहुत बहुत शुक्रिया सलमान भाई और संदीप भाई🙇🙇🙇🙇
Please Login or Create a free account to comment.