बस तुम याद आते हो

ऐ चाय! बस तुम याद आते हो

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 15 Sep, 2021 | 1 min read

साँसें जब भी आह भरती हैं तो तुम याद आते हो,

परेशानियाँ जब गले पड़ती हैं तो तुम याद आते हो,


हर एक पहर होता है पहरा मुझपर जिम्मेदारियों का,

बाजुएँ जब बोझ से अकड़ती हैं तो तुम याद आते हो,


सारा सारा दिन खपाता हूँ मैं ख़ुद को, रोज़गार के लिए,

ये धड़कनें जब सुकून को तरसती हैं तो तुम याद आते हो,


इस कदर व्यस्त होता हूँ कि मेरी नज़र ख़ुद पर नहीं जाती,

आँखें थककर जब नींद से झगड़ती हैं तो तुम याद आते हो,


“साकेत" के लिए एकमात्र जरिया हो तुम चैन-ओ-आराम का,

तभी तो जब बेचनियाँ बढ़ती हैं तो ऐ चाय बस तुम याद आते हो।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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