बारिश

बारिश का अंदेशा है मगर बारिश अभी शुरू हुई नहीं है, ये मेघ भी तरसा रहे हैं जैसे हमें...!

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 02 Jun, 2020 | 1 min read
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आसमान घिरा बादलों से, बारिश का अंदेशा है,

गरजती घटाओं ने धरती को भेजा कोई संदेशा है,

जमीं झूमती नज़र आ रही, फसलें भी बल खा रही हैं,

हवाओं में खुशबू है भीनी सी, कोयलें गीत सुरीले गा रही हैं,


गाँव में मेरे, फिर एक बार लौट कर खुशहाली आई हो जैसे,

महीनों से सूखे पड़े इन पेड़ों पर, छटा निराली छाई हो जैसे,

अब तो पशु और पक्षियों में भी बड़ा चहल पहल का माहौल है,

झूम रहा है हर आंगन आज, मस्तियां बिखरी जैसे चारों ओर हैं,


ये पहली बौछार बारिश की, धरती को नया सा ही रंग दे जाएगी,

बरसेगा बदरा झूमकर और टिपटिपाती बूंदें प्यास दिल की बुझाएगी।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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