ये साँसे हमारी रुकें, उससे पहले आ जाओ,
धड़कनें कभी जो थकें, उससे पहले आ जाओ,
आ जाओ कि अब तो जीना भी मुश्किल लगता है,
तेरे सिवा कहीं ये नज़रें झुकें, उससे पहले आ जाओ,
इम्तिहान जैसे भी, जो लेना चाहो, आकर ले लेना तुम,
मेरे ये अश्क़ इन नयनों से सूखें, उससे पहले आ जाओ,
दरिया-ए-इश्क़ पार करने चले थे हम मोहब्बत के सहारे,
अब पस्त हुए हौसले, पूरी तरह डूबें उससे पहले आ जाओ,
मिन्नतें कर रहा है “साकेत" सर झुका कर तेरी तस्वीर के आगे,
हमारे इश्क़ पर गुरूर था हमें, सरेआम टूटें, उससे पहले आ जाओ।
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