साँसें थम जाती हैं और तन सिहर जाता है,
काँप उठता हूँ मैं जब वो लम्हा याद आता है,
बिजली गई हुई थी और रात काफ़ी काली थी,
मोमबत्ती की लौ ने हालत सबकी सँभाली थी,
हिस्सों में बँटा हुआ था दोस्तों का समूह सारा,
हर बारह शख्स पर, एक मोमबत्ती का सहारा,
हवाएँ तेज़ थीं, माहौल में भी डर भरा हुआ था,
दिखाया किसी ने नहीं पर हर कोई डरा हुआ था,
एक दोस्त भूतों की कहानी शान से सुना रहा था,
सुन हम रहे थे चाव से मगर दिल बैठा जा रहा था,
वो कहानी भी हमें डरने के नए नए वज़ह दे रही थी,
और कहानी भी ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी,
ठंड के मौसम में सहमकर पसीने पसीने हो रहे थे सब,
रात कट रही थी धीरे धीरे और क़िस्से में खो रहे थे सब,
क़िस्से का हर क़िरदार हमें असली में नज़र आने लगा था,
कहानी सुनाता हुआ वो कहानीकार भी अब घबराने लगा था,
वो भूतिया कहानी जैसे तैसे अब या तब ख़त्म होने ही वाली थी,
तब अचानक से किसी ने दीवार पर लगे घड़ी पर नज़र डाली थी,
मगर घड़ी की ओर देखते ही उसके तो जैसे, होश ही हवा हो गए,
बारह बज रहे थे, पिछले दो घंटे से, ये देख सब खौफ़जदा हो गए,
दिन हुआ था तो पता चला कि वो दीवार घड़ी तो ख़राब हुई पड़ी थी,
हम बेवज़ह ही डरते रहे और वो रात भी तो जैसे डराने पर ही तुली थी,
अब भी जब वो पल याद आता है तो तन बदन में हड़कंप सा मच जाता है,
धड़कनें बेतहाशा तेज़ हो जाती हैं मेरी और रोम रोम भी मेरा सिहर जाता है।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
hahahaha.... OMG
Thank you so much Charu Chauhan jee
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