77वें स्वतंत्रता दिवस को चलो इस बार कुछ इस तरह से मनाते हैं,
देश के अमर सपूतों को कर याद उनके सम्मान में तिरंगा फहराते हैं,
राष्ट्रप्रेम है अब भी सर्वोपरी हम भारतीयों के लिए ये खुलकर दर्शाते हैं,
है श्रेष्ठतम ये मातृभूमि हमारी, चलो वंदे मातरम् के बुलंद नारे लगाते हैं,
कई प्राण आहुतियों और बलिदानों के बाद ये जो स्वतंत्रता हमने पाई थी,
मत पूछो हमारे पूर्वजों ने कितने जतन करके अंततः स्वाधीनता कमाई थी,
इंकलाब ज़िंदाबाद के नारों से जब बैरी दुर्ग की हर दीवार डरकर थर्राई थी,
कई जानों से मोल चुका तब आर्यावर्तसपूतों ने स्वाधीनता की पूंजी जुटाई थी,
रुधिर से सिंचित अतिपावन भूखण्ड की धूल से चलो मस्तक तिलक लगाते हैं,
बुलंदकर हौसले अपने राष्ट्रप्रेम की अखंड अलख हर दिल में आज यूँ जलाते हैं,
विकासशील इस भारतवर्ष के विकास में हम सब भी बढ़-चढ़ कर हाथ बंटाते हैं,
चलो 77वें स्वतंत्रता दिवस में स्वयं को राष्ट्र के समर्पित कर हर्षोल्लास से मनाते हैं।
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