बड़े माहिर खिलाड़ी हो तुम

बड़े माहिर खिलाड़ी हो तुम...बड़े अच्छे से खेल लेते हो भावनाओं के साथ

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 10 Oct, 2021 | 1 min read

बातों-बातों में बातें भुलाना भी तुम्हें ख़ूब आता है,

सवाल कर ज़वाब उलझाना भी तुम्हें ख़ूब आता है,


माहिर हो तुम बेचारगी की अदायगी करने में शायद,

चंद अश्क़ों से हथियार बनाना भी तुम्हें ख़ूब आता है,


कैसे और तुम्हारी किस-किस बात पर करूँ मैं विश्वास,

झूठे क़िस्सों का कारोबार चलाना भी तुम्हें ख़ूब आता है,


सोचा कि कभी मिलो आमने-सामने तो कुछ बातें साफ हों,

मगर आँखों में झाँककर नज़रें चुराना भी तुम्हें ख़ूब आता है,


भरी महफ़िल में तुम्हारे दिए इल्ज़ामों से मुकरे कैसे “साकेत”,

मासूम बनकर तमाशों का फ़ायदा उठाना भी तुम्हें ख़ूब आता है।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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