जमाना बुरा है

सब एक जैसे ही होते हैं शायद

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 02 Jun, 2020 | 1 min read
Life Betrayed Story

अच्छा! मैं गलत हूँ, तुमने कहा और मान लिया मैंने,

सफाई क्यों दे रहे हो, जब तुम्हें ही पहचान लिया मैंने

मुझे सँभालने के बहाने आजमाने ही तो आए थे तुम भी, 

मरहम के बहाने, नमक ज़ख्मों पर लगाने ही आए थे तुम भी,


अब चाहते हो कि तुम्हें और तुम्हारे झूठ को सच्चा कहूँ मैं,

भुला दूँ ज़ख्म तेरे नाम के और दिल से तुम्हें अच्छा कहूँ मैं,

बता दूँ तुम्हें कि ऐसा करना भी अब शायद मेरे बस में नहीं है,

सब साफ़ नजर आता है, दिल अब किसी कश्मकश में नहीं है,


अच्छा हुआ ना मेरे लिए कि तुम्हें वक़्त रहते पहचान लिया मैंने,

खुद को फिर एक बार खुद सा और तुम्हें औरों सा मान लिया मैंने।

BY:—© Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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