कोई सलाह बिना सुने न ठुकराया करो,
सुनो सबकी फ़िर दिमाग भी लगाया करो,
रास्ते हैं पथरीले बड़े ज़िन्दगी के सफ़र में,
सोच-समझकर ही क़दम आगे बढ़ाया करो,
हर मोड़ पर राह भटकाने वाले तैयार मिलेंगे,
अनजानों की बातों में, व्यर्थ ही न आया करो,
है मुमक़िन कि लालचवश कुछ अनर्थ कर बैठो,
गलतियाँ सुधारो, पछताने में समय न गँवाया करो,
ज़माना हँसेगा, तुम्हारा आत्मविश्वास गिराने के लिए,
थोड़े ढीठ बनो, उनके मख़ौल पर भी मुस्कुराया करो,
तानों के पत्थर चलाएँगे लोग, ख़्वाबों के आशियाँ पर,
तुम काँच की तरह क्षण-भंगुर ख़्वाहिशें न सजाया करो,
तरफ़दारी भी करेंगे लोग तुम्हारी लेकिन बस स्वार्थवश,
इसलिए झूठा प्रोत्साहन देने वालों से, दूरी बनाया करो,
कई कमियाँ है तुम में अब भी, जो बेड़ियों सी लग रही हैं,
कोई भी उपाय सोचकर, इन बेड़ियों को तोड़ हटाया करो,
तुम्हारी मंज़िल है तो सारी तरकीबें भी तुम ख़ुद से बनाओ,
यूँ ही हार जाने के डर से अपने कर्तव्य से जी न चुराया करो,
नक़ाबपोशों से घिरे हो “ साकेत" मुश्किल में हैं सपने तुम्हारे,
इसलिए परखा करो नियत सबकी, शक़्लों पर न जाया करो।
BY :— © Saket Ranjan Shukla
IG :— my_pen_my_strength
कुछ कठिन शब्दार्थ??
पथरीले :— पत्थरों से भरा हुआ
व्यर्थ :— बेकार, बेमतलब
लालचवश :— लालच में आकर(out of greed)
ढीठ :— मुंहज़ोर, असभ्य, गुस्ताख़
मख़ौल :— मज़ाक
आशियाँ :— घर
क्षण-भंगुर :— अल्पकालिक, कम समय तक टिकने वाला
स्वार्थवश :— अपने स्वार्थ के कारण
प्रोत्साहन :— उत्साह बढ़ाना
बेड़ियों :— जंजीरों
नक़ाबपोशों :— नकाब पहनने वाले लोग, जो अपना चेहरा छुपाते हैं
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