हारना तो नहीं है

हारने की चाहत ही नहीं है अब....!

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 04 Jun, 2020 | 1 min read
#poetry Life #hindipoetry #my_pen_my_strength #hindi

आज हारकर तो, इस महफ़िल से नहीं जाऊँगा मैं,

चाहें जितने भी हों कांटे, ज़ख्म सारे सह जाऊँगा मैं,

डरकर चेहरा छुपा लेने की कला, तुम्हें ही हो मुबारक,

जो भी हो हद, आज तो ख़ुद को यहीं आजमाऊँगा मैं,


कमज़ोर जो मुझे मान चुके आज उनके सर भी झुकाऊँगा,

तूफान है तुम्हारे पक्ष में तो मैं चट्टान बन उनसे टकराऊँगा,

ये झूठी बातें और ये झूठी सराहनाएँ भी तुम्हें ही हो मुबारक,

आया तो था आराम तलाशने यहाँ, मगर अब जीत कर जाऊँगा,


सोचा भी कैसे तुमने की मुश्किलें देख सामने घबरा जाऊँगा मैं,

कैसे सोच लिया कि सफ़र में दिक्कतें बढ़ीं तो लड़खड़ा जाऊँगा मैं।

 BY:— © Saket Ranjan Shukla

 IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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