और अधिक ख़ून तो अपना जलाऊँगा नहीं,
तुम्हें तुम्हारी ही हदें फ़िर से समझाऊँगा नहीं,
तुम बस ईर्ष्यावश मुझसे उलझना चाह रहे हो,
तुम्हारी चुनौतियों पे मैं गौर भी फ़रमाऊँगा नहीं,
बुद्धिहीनों सा जो व्यवहार कर रहे हो तुम निरंतर,
माफ़ करना मगर अति, माफ़ भी कर पाऊँगा नहीं,
तुम खो चुके हो ख़ुद को भी, मुझ सा बनने के लिए,
तुम्हें कोई प्रत्योत्तर दे, मैं तुम्हारे हौसले बढ़ाऊँगा नहीं,
हज़ार उपाय हैं “साकेत" के पास तुमसे निपटने के लिए,
लेकिन कदाचित मैं मेरी दृष्टि में मेरा स्तर गिराऊँगा नहीं।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
कुछ कठिन शब्दार्थ 👇🏻
1) ईर्ष्यावश :— ईर्ष्या/जलन के वश में(Out of jelousy)
2) बुद्धिहीन :— बेवकूफ, जिसमें बुद्धि न हो (Brainless)
3) अति :— ज्यादा, अधिक (Extreme)
4) प्रत्युत्तर :— ज़वाब, उत्तर (Reply)
5) कदाचित :— शायद (Maybe)
6) दृष्टि :— नज़र, अवलोकन(Vision/Sight)
9) स्तर :— दरजा, समतल (Level)
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