कोई तो हो

कोई तो हो जिसे दिल अपना कहने से कतराए नहीं...

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 20 Jun, 2020 | 1 min read
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शिकायतें हज़ार हैं, सुनने वाला कोई तो हो,

ख्वाब भी हज़ार हैं संग बुनने वाला कोई तो हो,


कोई तो हो जिसे दिल अपना कहने से कतराए नहीं,

कोई तो हो जो पास आए और फिर छोड़कर जाए नहीं,


किसकी तलाश है मुझे, आख़िर किसे ढूँढ रहा है ये दिल,

ना जाने किसके नाम के, सलोने ख्वाब बुन रहा है ये दिल,


शायद कोई ऐसा जो मुझे ख़ास होने का एहसास दिलाया करे,

हाँ, कोई ऐसा, जो मेरे हसीन लम्हों को और हसीन बनाया करे,


झगड़े मुझसे, लड़ाईयाँ करे, रूठ जाए कभी, कभी मनाना भी चाहे,

चाहिए मुझे कोई ऐसा, जो दिल की बातें नज़रों से बताना भी चाहे,


जब कभी गलत राह पर चल पड़ूँ तो हक से डाँट कर रोका करे मुझे,

कहाँ जा रहे हो, क्यों जा रहे हो, छोटी छोटी बातों पर टोका करे मुझे,


खफा हो अगर मुझसे तो नज़रें मिलाकर मुझे मेरी गलतियाँ गिनाए वो,

छोटे छोटे तोहफों से झूम उठे और छोटे छोटे मौकों पर प्यार जताए वो,


गलतफहमियों को जो ताक पे टाँगकर सारी बातें आँखें मिलाकर‌ ही करे,

रोज़ कहे कि उसे परवाह नहीं मेरी मगर मुझे खो देने के ख्याल से भी डरे,


अपनी हर छोटी बड़ी बातों का ज़िक्र करके, मुझे परेशान करने की ठान ले,

कोई ऐसा हमसफ़र हो जो बस बातों से नहीं, दिल से भी मुझे अपना मान ले,


कब तक मुसाफिरों सा जीऊँ मैं, सफ़र ख़ूबसूरत बनाने वाला भी कोई तो हो,

मैं खुद ही कब तक बिखरता सँभलता रहूँ, साथ निभाने वाला भी कोई तो हो।

BY:—© Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength


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