मैं और तुम्हारे खेल

मैं और तुम्हारा ये बेईमानों वाला खेल

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 17 Jan, 2021 | 1 min read
#poetry #hindipoetry #my_pen_my_strength

ये लुकाछिपी का खेल, देखें कब तक खेलते हो तुम,

कब तक यूँ ताने दे देकर, मुझे पीछे धकलेते हो तुम,

सारी ताकत लगाओ अपनी, सारे ही पैंतरा आजमा लो,

देखें तो सही कि मुझे कितने टुकड़ों में बिखेरते हो तुम,


पूरी छूट है, आजमा लो जितना भी आजमा सकते हो तुम,

उलझाओ मुझे, अगर बातों में अपनी उलझा सकते हो तुम,

मैंने माप रखा है, तुम्हारे हर जालसाजी को बड़े सलीके से,

गलतफहमी में हो कि मुझे बातों से यूँ भरमा सकते हो तुम,


देखें तो सही कि पाँवों में मेरे कितने ज़ख़्म उकेड़ते हो तुम,

खेल मेरे पीठ पीछे बेईमानी का, कब तक यूँ खेलते हो तुम?


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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