उम्मीद और नाउम्मीदी

ख़ुद से ज़रा नाउम्मीद......!

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 04 Jun, 2020 | 1 min read
Life #hindipoetry #my_pen_my_strength #hindi

उम्मीद है कुछ इस डगर से, कुछ इस सफ़र से भी उम्मीद है,

बस ज़िन्दगी से ज़रा नाउम्मीद हूँ, बाकी हर चीज़ से उम्मीद है,

हालात कुछ ऐसे हैं की नाराज़गी खुद से भी मैं जता सकता नहीं,

मगर ना जाने क्यों आज भी बिछड़े हुए हर उस शख़्स से उम्मीद है,


बर्बादियों का दौर चला था, हर एक ख्वाब मेरा बिखरा जिसमें टूटकर,

ऐसा मोड़ आया जब, हर ज़र्रा मेरा ख़िलाफत पर उतरा मुझसे रूठकर,

वक़्त बदला लोग भी बदले, मेरे हालात बदले और सबके स्वभाव बदले,

बदलते बदलते हम भी बदल गए शायद अपने किरदार से पीछे छूटकर,


अब बस सहारा है कुछ उम्मीदों का इसलिए हर जख्म हर घाव से उम्मीद है,

ख़ुद पर ही भरोसा नहीं है मेरा, बाकी आने जाने वाले हर शख़्स से उम्मीद है।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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