क्या करता मैं

अगर अब भी ना बदलता तो क्या करता मैं

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 12 Feb, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

आग लगी थी मन में, ना जलता तो क्या करता मैं,

चोट भी दिल की थी, ना बिखरता तो क्या करता मैं,


कामयाबी हाथ आई नहीं और हिम्मत भी हार गया था,

आशाओं से रिक़्त हुआ था, ना ढलता तो क्या करता मैं,


सिर्फ़ गैरों ने ही नहीं मेरे अपनों ने भी आजमाया था मुझे,

अपना वो किरदार, तब भी ना बदलता तो क्या करता मैं,


जो भी आए हाथ बंटाने, सबने छलनी किया था ज़ख्मों से,

ऐसे हाल में ख़ुद के सहारे भी ना सँभलता तो क्या करता मैं,


रोड़े अभी भी कुछ कम हुए नहीं हैं तेरे इस सफ़र में “साकेत",

इनसे निपटने के लिए भी, ना थोड़ा बिगड़ता तो क्या करता मैं।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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