कुछ और क़दम चल लेते हैं, फिर आराम कर लेंगे,
कुछ ज़ख्मों के बाद हासिल अपना मुक़ाम कर लेंगे,
है हिम्मत और हौसला अब तक बरक़रार रग रग में,
जल्द ही सुबह और ये शाम भी अपने नाम कर लेंगे,
कामयाबी के उस अनछुए शिखर को छूकर दिखाएँगे,
खुले आसमान तले ही अपना एक ख़्वाबगाह बनाएँगे,
ज़रूरतें सारी पूरी होंगी, ख़्वाहिशें अधूरी न रह पाएँगी,
होकर सवार फ़िर अपनी नैया पर लहरों से शर्त लगाएँगे,
ज़िंदगी को रूतबे से जीने की भी कोशिशें तमाम कर लेंगे,
थोड़ा और साथ दें जो पाँव मेरे, फ़िर एकमुश्त आराम कर लेंगे।
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