दिल का ऐतबार

दिल का ऐतबार

Originally published in hi
Reactions 1
383
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 16 Oct, 2021 | 1 min read

कहा तो था मैंने कि मैं और इंतज़ार नहीं करूँगा,

छोड़ दूँगा मैं आशिक़ी, उसे और प्यार नहीं करूँगा,‌


जाने से उसके बिखरूँगा नहीं मैं, चाहे जो कुछ हो,

टूटूँगा नहीं, अश्क़ अपने यूँ फ़िर बेकार नहीं करूँगा,


उसकी ख़ुशी के लिए इस बार तो जाने दिया मैंने उसे,

अपने जज़्बात फ़िर कभी भी यूँ दरकिनार नहीं करूँगा,


न अब तड़पूँगा मिलने को, न आँखों को और तरसाऊँगा,

फ़िर कभी भी ख़ुद को उस हद तक बेकरार नहीं करूँगा,


सोचा तो बहुत कुछ पर दिल मेरी सुनता कहाँ है “साकेत",

अब शायद मैं कभी अपने दिल का भी ऐतबार नहीं करूँगा।

BY :— © Saket Ranjan Shukla

IG :— @my_pen_my_strength

1 likes

Published By

Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.