हो क्या रहा है ये

हो क्या रहा है ये?

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Sep, 2021 | 1 min read

ज़्वारों से लड़ने वाले हम चंद लहरों से घबरा गए,

तूफ़ानों से लड़ने वाले हम झोंके से लड़खड़ा गए,


क्या हुआ है हमें, क्यों यूँ बेसब्र‌ हुए जा रहे हैं अब,

जाने क्या सोच-सोचकर हम बेवज़ह हड़बड़ा गए,


किसी की भी नकरात्मकता मुझे छू नहीं सकती थी,

न जाने फ़िर कैसे, अपनों के तीखे ताने मुझे हरा गए,


इन क़दमों तले, पहाड़ सी मुश्किलों को कुचला है मैंने,

आख़िर कैसे आज रास्ते के कुछेक पत्थर मुझे डरा गए,


हो क्या रहा है ये “साकेत", वक़्त की साज़िश तो नहीं ये,

कैसे मुझ चट्टान को काँच के टुकड़े, टुकड़ों में बिखरा गए?


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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