तू चाँद, मैं चकोर

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 23 Oct, 2023 | 1 min read

तू चांदनी छिड़कती चाँद सी, मैं तुझे निहारता चकोर सा,

तू सावन की बरसती बदरा सी, मैं तुझमें मग्नमस्त मोर सा,


तू शीत ऋतु के सूरज की आभामयी नरम-नरम किरणों सी,

मैं बाट जोहता, तेरे दरस को आकुल ठिठुरता हुआ भोर सा,


तू स्वछंद सी कलकलाती, झिलमिलाती सरिता तरंगिणी सी,

तर होकर भी हूँ शुष्क पड़ा, मैं प्यास का मारा फल्गु कोर सा,


तू कर्णप्रिय, तू साज सुस्वर, तू श्रुतिमधुर कोकिल के कूक सी,

तेरी धुनों के सहारे निर्वाह करता मैं अधीर अंतर्मन के शोर सा,


तू चितचोरनी सौंदर्या, “साकेत" के उत्कृष्टतम परिकल्पना सी,

तेरी कांति जैसे रमणीय चाँद सी, मैं प्रेमोमंग में डूबे चकोर सा।


BY :— © Saket Ranjan Shukla

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Saket Ranjan Shukla

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