मेरे सपनों का आशियां

कुछ सपने ऐसे भी होते हैं जिनका संभव ही पाना लगभग नामुमकिन होता है लेकिन मन को सपने देखने से क्यों रोकें भला

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 24 Jun, 2020 | 1 min read
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पैरों तले रेत की चादर सर पर झूमता आसमान हो,

समंदर की लहरों से खेलता मेरे ख्वाबों का जहान हो,

हवाओं में खुशबू हो पहाड़ों की, हरियाली भी हर ओर हो,

ना कोई पराया लगे मुझे वहाँ, ना ही किसी के मन में चोर हो,


सारे ज़माने से अलग, फिज़ाओं से घिरा एक मकान हो मेरा,

ये धरती, माँ की तरह ख़्याल रखे और सारा आसमान हो मेरा,

रंग बिरंगी मछलियों से यारी हो, लहरों के साथ बहना आए मुझे,

ना हो आधुनिकता तो ना सही, प्रकृति की गोद में रहना आए मुझे,


पहाड़ों के करीब, समंदर के किनारे, जंगलों के पास मेरा आशियां हो,

नकलियत से दूर कहीं, रेत की चादरों के बीच मेरे सपनों का जहाँ हो।

By:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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