ऐ कलम मेरे

ऐ कलम मेरे

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 26 Feb, 2022 | 1 min read

बिना तेरे, तन्हाई काटने को आती है,

बिना तेरे, ये लंबी सी रात भी डराती है,


मुश्किल होता है सुकून से साँस लेना भी,

बिना तेरे, धड़कन, धड़कने से घबराती है,


तुम हो तो मुमकिन है अब कामयाबी मेरी,

बिना तेरे, मेरी ही मंज़िल, मुझे भटकाती है,


हर किसी का दिल जीत पाता हूँ तेरे साथ से,

बिना तेरे, मेरी तो आवाज़ भी लड़खड़ाती है,


सलीका है ”साकेत" में जीने का बस तुमसे ही,

ऐ कलम! तेरे बिना तो ज़िंदगी ही ठहर जाती है।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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