झुठी शान और गलत ज़िद की क़ीमत

झुठी शान और गलत ज़िद की क़ीमत

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 10 Dec, 2021 | 1 min read

झुठी शान के लिए ही सब कुछ लुटा चुका हूँ,

जो कुछ भी था मेरा वो हर कुछ गंवा चुका हूँ,


जीतने की उम्मीद तो नहीं है, लड़ना है फ़िर भी,

मैं बिखरने के बाद की योजनाएँ भी बना चुका हूँ,


गलत ज़िद पकड़े, गलत राह पर ही चल पड़ा था,

लौट भी सकता नहीं अब तो इतनी दूर आ चुका हूँ,


हार जो मान गया अब तो ख़ुद से भी हार जाऊँगा मैं,

इसीलिए अपनी हार पर ही मैं सारे दांव लगा चुका हूँ,


अब जो हालात हैं, उन्हें समझना भी नहीं है “साकेत",

क्योंकि मैं आख़िरी हद तक सारे पैंतरे आजमा चुका हूँ।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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