ज़ख़्म दिल के हैं

ज़ख़्म दिल के हैं, सीना चीरकर दिखाए कौन

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 27 Jan, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

सुनने को सब राज़ी बैठे हैं मगर सुनाए कौन,

ज़ख़्म दिल के हैं, सीना चीरकर दिखाए कौन,


नमक तो हर कोई जेब में भरकर ही आया था,

कितनी मात्रा किसकी थी, खुलकर बताए कौन,


हिस्से में मेरे सिर्फ़ झूठे वादे और झूठे दिलासे थे,

किरदार ही झूठे थे सबके, ईमान से निभाए कौन,


अकेला चला था सफ़र में, काँटो से दोस्ती कर बैठा,

अब यार ही हैं ऐसे तो मरहम की आस लगाए कौन,


तुम्हारे आँखो ने भी तुम्हें कमाल का लूटा है “साकेत",

अब जो पलकें नम हुईं हैं तो अश्क बेवजह बहाए कौन।


BY:— ©Saket Ranjan Shukla

IG:—@my_pen_my_strength

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