मैं, मैं भी नहीं हूँ

मैं, मैं भी नहीं हूँ तो कैसे कहूँ कि मैं क्या हूँ

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Feb, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

मैं ग़लत नहीं हूँ लेकिन सही भी नहीं हूँ,

अब अपनी ही राहों मैं कहीं भी नहीं हूँ,


ख़ुद को भुला बैठा, सबकी सुन सुनकर,

पराया नहीं तो शायद अपना भी नहीं हूँ,


किसी सफ़र में हूँ, इतना तो पता है मुझे,

पत्थर नहीं मील का और राही भी नहीं हूँ,


तकदीर ने क़लम बदल कर लिखा है मुझे,

कहानी नहीं मैं और कोई ग़ज़ल भी नहीं हूँ,


पूछते हैं लोग कि आख़िर हो क्या तुम “साकेत",

कैसे कहूँ, मैं हूँ वो जो एक अरसे से मैं भी नहीं हूँ।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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