सदियों के कठोर संघर्ष के बाद परिणाम मनचाहा पाया है,
रुधिर धार से सरयू लाल हुई तब ये पावन अवसर आया है,
बलिदान हुए भक्त कई अपने रामलला को न्याय दिलाते हुए,
थक गईं थीं अँखियां कई, प्रभु के दर्शन की आस लगाते हुए,
राम की ही कर्मभूमि आर्यावर्त में, उन्हें कटघरे में आना पड़ा,
अपने जन्मस्थान का प्रमाण उन्हें न्यायालय में दिखाना पड़ा,
रामविरोधी हुए धराशाई और रामभक्तों का उत्साह रंग लाया है,
बलिदानी का प्रतीक भगवा ध्वज फिर समूचे देश में लहराया है,
हुई धरा धन्य, हैं भावुक भक्तजन, रामलला अपने महल पधारे हैं,
देख पा रहें हैं हम ऐसा मनभावन दृश्य, सचमुच धन्य भाग्य हमारे हैं।
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