तुम्हारी एक झलक पाते ही तुम्हारा हो जाता हूँ मैं,
कहने को होता हूँ होश में, मगर कहीं खो जाता हूँ मैं,
मिज़ाज भी तब अचानक मेरा, फिर बदलने लगता है,
काँपते लबों से फिर, जैसे हर लफ्ज़ फिसलने लगता है,
मेरी धड़कनें बेकाबू होकर मुझे सुनाई देने लगती हैं जैसे,
आँखें मेरी सब कुछ भूलकर दिल की सुनने लगती हैं जैसे,
मेरे ये कदम लड़खड़ाते हुए तुम्हारे पीछे खिंचे आते हैं ऐसे,
मुझको को सँभालने में ये, बिल्कुल नाकाम नजर आते हैं जैसे,
आलम ये है कि, तुम्हें देख बेकाबू और बिन देखे बैचेन हो जाता हूँ मैं,
मैं खुद भी नहीं जानता कि तुम्हें देखते ही क्यों, तुम्हारा हो जाता हूँ मैं।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
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