आजकल हर कोई लगाए है नारा राम नाम का,
अर्थ न जाने हर कोई अंश भर भी राम नाम का,
राम हैं रमणीक, रमे है राम में ही ये ब्रह्मांड सकल,
पार न कुछ राम के, राम माया, राम ही सत्य अटल,
राम व्याप्त हर कण में, हर कुछ समाहित है राम में,
काल में भी रमते राम, जीवन भी संचारित है राम में,
राम न्यायप्रिय, मर्यादापुरुषोत्तम, आर्दशावतारी राम,
निर्गुणोपासना अधिकारी, अत्यन्त गुणकारी भी राम,
कीर्तिवान, शौर्यवान, राक्षस वंश उद्धारक भी राम हैं,
भक्तवत्सल, करुणामयी, श्रेष्ठ प्रजापालक भी राम हैं,
राम के नाम का रट लगाने से पूर्व राम के अर्थ को जानो,
राम नाम भजने के साथ अंशभर राम सा बनने की ठानो,
जीवनरंगमंच पर हर भूमिका में, राम को आदर्श मान लो,
कैसे हो व्यक्तित्व विकास, राम के जीवन से यह संज्ञान लो,
पुत्र बनो सो राम से, जो पिता के वचन को टूटने न दे कभी,
केकैयी सी मात के प्रति भी स्वहृदय में द्वेष पलने न दे कभी,
अग्रज बनो भईया राम से जो अनुजों पर प्राण छिड़कता हो,
अनुज के बिन माँगे भी निज अधिकार को भी जो तजता हो,
निष्ठवान बनो निज सिया के प्रति, राम सा स्नेहिल भर्ता बनो,
हर असँभव को सँभव करो उसके लिए, उसके कष्टहर्ता बनो,
किसी के लिए किसी तरह का भेदभाव न हो कभी अंतर्मन में,
राम का सामाजिक आदर्श इस भांति उतार लो अपने जीवन में,
चित्त रहे शाँत इतना कि केवट के हठ का अभिप्राय समझ सको,
और निश्छल प्रेम समझ सबरी के मीठे बेरों का स्वाद चख सको,
स्वामी बनो राम सा, जो सेवकरूपी हनुमान का आलिंगन कर लें,
मित्र भी राम सा ही बनो, जो विभीषण और सुग्रीव के कष्ट हर लें,
शत्रुता भाव में भी तुम्हारे राम के भाव सी ही मर्यादा होनी चाहिए,
बैरी के अवगुणों के साथ ही उसके गुणों की परख भी होनी चाहिए,
प्रेक्षक बनो ऐसे कि रावण से पापी में भी कुछ सीखने योग्य ढूँढ़ लो,
श्रीराम के निभाए भूमिकाओं से लो प्रेरणा, जीवन सार सारा बूझ लो,
मर्दन करो अपने भीतर के रावण का और श्रीराम का मन में वास करो,
सामाज पर उंगली उठाने से पूर्व, अपना अंतर्मन यथासँभव साफ करो,
कलियुग है युग कर्म प्रधान का, यहाँ कर्मों का ही लेखा-जोखा होता है,
उद्धार उसी के जीवन का सँभव है, जो प्रभू श्रीराम के शरण में होता है,
यथोचित राम का नाम केवल जपने से अब सारे पाप हमारे कटेंगे नहीं,
नहीं क्षमा करेंगे विधाता हमें जब तक राम के सुझाए मार्ग पर डटेंगे नहीं,
अधर पर राम, मन में पाप रखने वालों की भीड़ में, रामभक्त थोड़े कम हैं,
यही प्रमाण बढ़ते अधर्म का और इस बात का कि घोर कलियुग में हम हैं,
राम को तज यदि रावण सा व्यवहार करेंगे तो रावण सा ही अंत पाएँगे,
और
यदि एकसाध कर लिया श्रीराम को तो कदाचित श्रीहरीलोक जाएँगे।
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