देखना

देखना

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 10 Nov, 2021 | 1 min read

ये ज़िन्दगी मुझे जीना ज़रूर सिखाएगी, देखना,

मेरी मंज़िल भी मुझपर ज़रूर इतराएगी, देखना,


काँटों से हुई है दोस्ती तो पाँव के छाले लाज़मी हैं,

मेरी राह, मेरे ज़ख्मों को ज़रूर सहलाएगी, देखना,


हार की फ़िक्र वो करें, जिन्हें फ़िक्र करना आता हो,

ये बेपरवाही ही मुझे सफ़ल ज़रूर बनाएगी, देखना,


चलता ही रहा हूँ निरंतर जब से है चलना सीखा मैंने,

मेरी ये थकान मुझे पहचान ज़रूर दिलाएगी, देखना,


अपने अंधेरे सफ़र के लिए मशाल बनना है “साकेत",

फिर हरेक काली रात मेरे तेज़ से जगमगाएगी, देखना।

BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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