मेरी अज्ञानता हर, मुझे आत्मज्ञान से भर दे,
वर दे हे विद्यादायिनी, मुझे सुविद्या का वर दे,
तमस से घिरे संसार में केवल तेरा ही सहारा है,
लौ दिखा ज्ञान का मुझे सुमार्ग पर अग्रसर कर दे,
बुद्धिहीन मन मेरा बारंबार संताप से ग्रस्त रहता है,
तदोपरांत व्यथित हृदय मात्र तुझसे आस रखता है,
आते ही तेरे शरण में, तू जो मेरा मार्गदर्शन करती है,
तेरी ही कृपादृष्टि से हे माँ, संकट का कोहरा छंटता है,
मुझमें कुछ विशिष्ट नहीं सब तेरे आशीर्वाद का फल है,
तेरा मातृत्व प्रेम जो साथ है तो सुनहरा मेरा हर कल है,
जीवन के हर पड़ाव में, हे माँ तेरा हाथ सर पर बना रहे,
हे वीणावादिनि, माँ शारदे तेरा हरेक शरणार्थी सफल है,
कर जोड़कर, सर नवाकर मैं सहृदय तेरा स्मरण करता हूँ,
हे हंसवाहिनी माँ सरस्वती, मैं शत्-शत् नम
न तुझे करता हूँ।
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