मैं तब ऐसा न था

मैं तब ऐसा न था

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 22 Sep, 2022 | 1 min read

मुझमें अब जैसी है, वैसी कोई बात न थी,

या फ़िर आज के जैसी तब कायनात न थी,


कामयाबी देखती थी हर मोड़ पर रास्ता मेरा,

व्यस्तता थी, सफ़र में ऐसी भागम-भाग न थी,


मुस्कुराकर हर किसी से मिला करता था मैं भी,

आसान था साँस लेना ये बेचारगी जो साथ न थी,


मिले कुछ नक़ाबपोश जो हमदर्दी दिखा, लुट गए,

सुबह-ओ-शाम ठगा मुझे, क़सूरवार सिर्फ़ रात न थी,


मुझे मजबूर किया वक़्त ने ही यूँ बदलने पर “साकेत",

बड़ा शांत लड़का था मैं, मेरे गुस्से में इतनी आग न थी।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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