तुम अपना देख लो

तुम अपना देख लो

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 16 Apr, 2021 | 1 min read

मैं तो बदल गया वक़्त के साथ, तुम अपना देख लो,

नहीं थामता अब किसी का हाथ, तुम अपना देख लो,


हालातों से लड़ने की आदत है, आज भी जंग से लौटा हूँ,

मैं हार कर भी बखूबी मुस्कुरा लेता हूँ, तुम अपना देख लो,


कल भी अनजाने सफ़र का अनजाना सा मुसाफ़िर था मैं,

मैं भटक कर भी मंजिल तलाश लेता हूँ, तुम अपना देख लो,


सफ़र के शुरू होने से पहले से ही काँटों से दोस्ती रही है मेरी,

अपने जख़्मों से भी याराना निभा लेता हूँ, तुम अपना देख लो,


सँभलना मुझे तब भी आता था, जब बिखरने की उम्मीद ना थी,

बिखरे टुकड़ों से नया किरादर बना लेता हूँ, तुम अपना देख लो,


बर्बादी जब हर ओर नज़र आती थी तब तो रुका नहीं कभी डर कर,

मैं तो बर्बाद मंजरों को भी बखूबी संवार लेता हू़ँ, तुम अपना देख लो,


ख्वाबों को संजोकर तोड़ने का खेल, ना जाने कब से खेल रहा हूँ मैं,

एक दिल को छोड़कर, बाकी सब सँभाल लेता हूँ, तुम अपना देख लो,


मैं तो पा ही लूँगा ख़ुद को खोकर फिर से एक बार, तुम अपना देख लो,

मैं मुड़कर नहीं देखूँगा तुम्हें दोबारा,एक बार कहा ना, तुम अपना देख लो।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

saketranjanshukla

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Deepali sanotia · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत सुन्दर रचना है ।

  • Saket Ranjan Shukla · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद Deepali sanotia jee🙇🏻‍♂️🙇🏻‍♂️🙇🏻‍♂️

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