अपने रास्ते मैं ख़ुद ही बना लेता हूँ,
तुम मुझे मेरी कौन सी राह दिखाओगे,
मैं मुश्किलों की भी मुश्किलें बढ़ा देता हूँ,
बताओ तो ज़रा आख़िर कैसे मुझे हराओगे,
मैंने, मुझे और मेरे किरदार को बखूबी परखा है,
और बाकी ही क्या रहा, जो तुम मुझे समझाओगे,
हौसलों से मेरे, मुझसे टकराने वाला तूफ़ान डरता है,
ख़ुद को आजमाने की हदें भी, क्या तुम मुझे बताओगे,
जब वक़्त है रहबर मेरा, तुम क्या मुझे जीना सिखाओगे,
काफी हूँ मैं खुद के लिए, तुम क्या मेरी मदद को आओगे।
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
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