Saket Ranjan Shukla
14 Oct, 2020
बहुत कुछ है
मामूली खरोचों पर झूठे आँसू बहा रहा हूँ मैं,
गलतियों पर अपनी बेहिसाब पछता रहा हूँ मैं,
राज़ कई हैं, ज़ख्म कई हैं, आज छुपाने के लिए,
इसलिए सरेआम अपना मजाक बनवा रहा हूँ मैं..!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Paperwiff
by saketranjanshukla
14 Oct, 2020
Life
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