Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 08 Jun, 2022
मैं परिंदा उनमुक्त गगन का
लड़ता ही रहा, पीछे हटना न आया मुझे, कोशिशें करता रहा, थकना न आया मुझे, मैं परिंदा ठहरा सपनों के उनमुक्त गगन का, बिखरा मगर ऊँचाइयों से डरना न आया मुझे.! BY:— ©Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

08 Jun, 2022

Life lessons

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