Saket Ranjan Shukla
30 Jul, 2021
वक़्त के पड़ाव
ज़रा ज़रा रोज़ अपनी नज़रों से उतरा हूँ मैं,
गिरकर-बिखरकर ही कहीं अब सुधरा हूँ मैं,
सहमा सा है अब भी हर ज़र्रा मेरे जिस्म का,
मत पूछो वक़्त के किन पड़ावों से गुजरा हूँ मैं.!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Paperwiff
by saketranjanshukla
30 Jul, 2021
Life
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