Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 11 Dec, 2021
ये क्या कर बैठा मैं
चाहत सच्ची थी मगर राह ही ग़लत चुन बैठा, एक न सुननी थी जमाने की, हज़ार सुन बैठा, जिसके साथ हमसफ़र हुआ, ठगा भी उसी को, प्यार के कच्चे धागों से, मैं कैसा रिश्ता बुन बैठा.! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

Paperwiff

by saketranjanshukla

11 Dec, 2021

Realization

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