Saket Ranjan Shukla
18 Aug, 2020
और हारता गया मैं
दांव पे दांव खेलता गया और हारता गया मैं,
हुनर अपना मगर हर बार, निखारता गया मैं,
बाजी मेरी थी और हर मोहरा भी मेरा ही था,
ख़ुद बिखर कर भी सब कुछ सँवारता गया मैं..!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Paperwiff
by saketranjanshukla
18 Aug, 2020
Life
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