Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 30 Jul, 2020
मजबूर आँखों का सबब
बड़ी मुफलिसी में गुज़रा है बचपन मेरा, पापा मेरे, फिर भी खिलौने दिला देते थे, उन मजबूर आँखों का सबब समझा नहीं, जब वो ख़ामोशी से, हाँ में सर हिला देते थे..! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

30 Jul, 2020

Poverty

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