Saket Ranjan Shukla
27 Sep, 2020
कहानी मुख्तसर थी
कहानी मुख्तसर थी, किरदार सबके छोटे रह गए,
गैरों से शिकायत क्या, मेरे अपने सिक्के खोटे रह गए,
उम्मीद हर किसी से रखने का फैसला गलत था शायद,
ख्वाब लूटा सबने मेरा और हम भरोसे की नींद सोते रह गए...!
BY:— © Saket Ranjan Shukla
IG:— @my_pen_my_strength
Paperwiff
by saketranjanshukla
27 Sep, 2020
Life
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