Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 04 Nov, 2022
ये मेरा क़िरदार था ही नहीं
ख़्वाब इतने सारे ख़ुद गढ़ कर नहीं आया था, ज़िंदगी का तजुर्बा कहीं पढ़ कर नहीं आया था, ऐ दिल! तोड़-मरोड़कर तूने बदला किरदार मेरा, मैं मस्तिष्क में इतने अंगारे भरकर नहीं आया था.! BY:— © Saket Ranjan Shukla IG:— @my_pen_my_strength

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by saketranjanshukla

04 Nov, 2022

Forcedbyheart

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